मोदी या केजरीवाल...दिल्ली के बिल पर INDIA और NDA में तटस्थ पार्टियां किसके साथ?

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पावर वॉर अब संसद के पटल पर है. संसद के चालू मॉनसून सत्र में दिल्ली (संशोधन) विधेयक सरकार ने पेश कर दिया है. दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के साथ ही 26 विपक्षी

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केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पावर वॉर अब संसद के पटल पर है. संसद के चालू मॉनसून सत्र में दिल्ली (संशोधन) विधेयक सरकार ने पेश कर दिया है. दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के साथ ही 26 विपक्षी दलों का गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) इस विधेयक का विरोध कर रहा है. इस बिल पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा हो सकती है.

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आम आदमी पार्टी के नेता इस विधेयक को राज्यसभा में रोक लेने का विश्वास व्यक्त कर रहे हैं लेकिन संख्याबल के लिहाज से देखें तो ये विश्वास बस उम्मीद ही नजर आ रहा है. आम आदमी पार्टी को उन दलों के समर्थन की भी उम्मीद थी जो न तो विपक्षी गठबंधन में हैं, ना ही भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में.

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ताजा तस्वीर ये है कि कोई दल बिल के विरोध में आम आदमी पार्टी के साथ आया तो कोई बिल के समर्थन में हो लिया. राज्यसभा में मौजूदगी रखने वाली आठ तटस्थ पार्टियों में कौन सा दल बिल के पक्ष में है, कौन विपक्ष में और किसने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, आइये जानते हैं.

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इन दलों के रुख पर टिकी थी AAP की आस

आम आदमी पार्टी की एनसीटी दिल्ली (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा में रोकने की आस बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति के रुख पर टिकी थी. अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उम्मीद थी कि ऐसे दल जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, उनका साथ देंगे और संसद में बिल के विरोध में मतदान करेंगे. तटस्थ दलों की लिस्ट में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस), सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ), तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (लिबरल) भी हैं.

दिल्ली विधेयक के समर्थन में आए ये दल

सरकार ने दिल्ली सेवा बिल संसद में पेश कर दिया है. बिल पेश किए जाने के बाद संख्याबल के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही पार्टियों का रुख भी स्पष्ट हो गया है. आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) के साथ ही तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने विधेयक का समर्थन कर दिया है. वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं. टीडीपी का राज्यसभा में एक सदस्य है.

बिल के खिलाफ विपक्ष को मिला बसपा का साथ

विपक्षी पार्टियों को दिल्ली से संबंधित विधेयक के खिलाफ न्यूट्रल पार्टियों में से एक पार्टी का साथ मिला है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिल का विरोध करते हुए विपक्षी गठबंधन का साथ देने का ऐलान कर दिया है. राज्यसभा में बसपा का भी केवल एक सदस्य ही है.

इन पार्टियों ने अब तक नहीं खोले हैं पत्ते

वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी, टीडीपी और बसपा ने एनसीटी दिल्ली संशोधन विधेयक 2023 को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. वहीं, चार पार्टियां ऐसी भी हैं जिन्होंने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. तेलंगाना की सत्ताधारी बीआरएस के राज्यसभा में सात सदस्य हैं. बीआरएस के साथ ही एक-एक सदस्यों वाली जेडीएस, एसडीएफ, टीडीपी और यूपीपी ने अब तक ये साफ नहीं किया है कि वो बिल का समर्थन करेंगी या विरोध.

राज्यसभा में क्या है ताजा नंबर गेम

वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के समर्थन के बाद राज्यसभा में विधेयक की राह आसान हो गई है. राज्यसभा में बीजेपी के 92, एआईएडीएमके के चार सदस्य हैं. असम गण परिषद, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), तमिल मनीला कांग्रेस (एम), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी, पीएमके के भी एक-एक सांसद हैं. पांच नॉमिनेटेड सदस्य हैं. इन सबको लेकर संख्याबल 107 पहुंच रहा था. अब वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के समर्थन के साथ ही संख्याबल 126 तक पहुंच गया है.

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एनसीपी के भी राज्यसभा में तीन सांसद हैं. अजित ने शरद पवार के खिलाफ जाकर एनडीए का दामन थाम लिया था. अजित ने एनसीपी पर भी दावा किया है. राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल तो अजित गुट के साथ हैं लेकिन बाकी दो सदस्यों को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. अगर ये मान लें कि एनसीपी के सभी तीनों राज्यसभा सदस्य अजित के साथ हैं तो एनडीए का संख्याबल 129 पहुंच रहा है. राज्यसभा में सात सीटें रिक्त हैं और इस समय 238 सदस्य ही हैं ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 120 है.

बिल का विरोध कर रही पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस के 31, तृणमूल कांग्रेस के 13, आम आदमी पार्टीऔर डीएमके के 10-10, आरजेडी के 6, सीपीएम के 5, जनता दल यूनाइटेड के 5 सदस्य हैं. सपा और शिवसेना के 3-3 सदस्य हैं. भाकपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के 2-2, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), बसपा और राष्ट्रीय लोक दल के एक-एक सदस्य हैं. विपक्षी गठबंधन का कुल संख्याबल 94पहुंचता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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